उत्तर पश्चिम रेलवे में आधारभूत ढांचे को मजबूत बनाने के लिए पूर्ण क्षमता के साथ कार्य किए जा रहे हैं।
उत्तर पश्चिम रेलवे जोन की स्थापना से अब तक इस रेलवे पर 361 कि.मी. नई रेल लाइन, 1083 कि.मी. दोहरीकरण एवं 2857 कि.मी. गेज परिवर्तन का कार्य पूर्ण किया गया है। नावां सिटी-गोविंदी मारवाड़ के दोहरीकरण का कार्य पूर्ण होने से राजस्थान के दो महानगर जयपुर एवं जोधपुर के मध्य दोहरीकरण पूर्ण हो गया है। दौसा-गंगापुर सिटी 94.65 कि.मी. नई लाइन का कार्य भी पूर्ण कर रेल संचालन प्रारंभ कर दिया गया है।
उत्तर पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक श्री अमिताभ के कुशल नेतृत्व में वर्तमान में लगभग 22,000 करोड़ रुपए की लागत से 1446 किलोमीटर नई लाइन, दोहरीकरण और गेज परिवर्तन के कार्य प्रगति पर हैं। जिन पर तीव्र गति से कार्य प्रगति पर है। आने वाले 2 वर्षों में 400-500 कि.मी. प्रतिवर्ष के अनुसार कार्य निष्पादित करने की योजना है जिससे कनेक्टिविटी के इन्फ्रास्ट्रक्चर मजबूत हो रहे हैं। रेलवे की कनेक्टिविटी बढ़ने से पूरे राजस्थान में उद्योगों एवं पर्यटन से जुड़े अवसरों का विस्तार होगा।
विगत दो वर्षों में श्री वेद प्रकाश मुख्य प्रशासनिक अधिकारी/निर्माण के दिशा-निर्देश में उत्तर पश्चिम रेलवे में लगभग 156 किलोमीटर रेल लाइन का दोहरीकरण और 102 किलोमीटर नई लाइन का निर्माण किया गया। कुछ परियोजनाएं समय से पूर्व पूर्ण की गईं। साथ ही उन्होंने उत्तर पश्चिम रेलवे की कई प्रमुख परियोजनाओं की रेलवे बोर्ड से स्वीकृति प्राप्त करने में प्रमुख भूमिका निभाई।
वर्तमान में चूरू-सादुलपुर (58 कि.मी.), अजमेर-चंदेरिया (178 कि.मी.), लूणी-समदड़ी-भीलड़ी (272 कि.मी.) एवं जयपुर-सवाई माधोपुर (131 कि.मी.) खंड के दोहरीकरण के कार्य भी प्रगति पर हैं। राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं और विलक्षण स्थापत्य के साथ धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण चूरू-सादुलपुर के मध्य दोहरीकरण होने के बाद यह रेल मार्ग राजस्थान, हरियाणा व अन्य उत्तर भारतीय राज्यों के साथ तीव्र रेल संचालन वाला महत्वपूर्ण रेल मार्ग बन जाएगा। दोहरीकरण के कार्य से इस क्षेत्र में व्यापारिक व सामाजिक संबंध प्रकट होंगे। इसके साथ रास-मेड़ता सिटी (56 कि.मी.), पुष्कर-मेड़ता रोड (51 कि.मी.) एवं रीगंस-खाटूश्यामजी (17 कि.मी.), आबू रोड-तारंगा हिल (117 कि.मी.) नई रेल लाइन, मारवाड़ बायपास लाइन व सवाई माधोपुर बायपास लाइन, देवगढ़-नाथद्वारा, नाथद्वारा-नाथद्वारा टाउन गेज परिवर्तन, चूरू-रतनगढ़, मानहेरू-बवानी खेड़ा, भिवानी-डोब बहाली दोहरीकरण के कार्य भी स्वीकृत हैं।
Source/RSB